पर्यावरण संरक्षण का दिया संदेश कन्नौज - हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी वृक्षारोपण अभियान चलाए जाने का निर्णय लिया गया है। देशभर के सभी राज्यों में पौधें रोपित किये गए। राष्ट्रीय राज मार्ग 91 पर यूपीडा के सौजन्य से बृक्षारोपण किया गया। इस महा अभियान की शुरूआत करते यूपीडा के नोडल अथिकारी रविंद्र गोडबोले ने कोरोना महामारी को देखते शारीरिक दूरी बनाकर मास्क का प्रयोग करते हुए इस अभियान का विथिवत आगाज किया। और बताया कि इंसान के सुख, शाति और समृद्धि का भंडार प्रकृति है। मनुष्य प्रकृति की गोद में ही पलता-बढ़ता है और इसी के साथ जीवन का समापन भी करता है। प्रकृति के साथ मनुष्य का नैसíगक प्यार उसकी भावना में बसा है। जब वह भागदौड़ की जिन्दगी में व्यस्त होता है तो तनिक सुकून और मन की शांति के लिए प्रकृति की गोद में जा बैठता है। आज हम प्रकृति से दूर विकास की अंधी दौड़ में मानवता के विकास और विनाश के बीच करोना से जूझ रहे हैं तो लगता है कि प्रकृति ही इसका निदान, उद्भव और अंत है। अब इंसान को अपनी गलती का अहसास हो गया है। नए पेड़-पौधे लगाकर वो अब कुदरत का कर्ज उतार रहे हैं। साथ ही शहरों का प्रदूषण कम करने का प्रयास भी किया जा रहा है। शहर हो या गाव हरियाली बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। रमेश चन्द्र दुबे ने कहा कि हमें अपने मन में संकल्प लेना होगा कि हमें प्रकृति से सदभाव के साथ जुड़ कर रहना है। हम सब इस बारे में सोचें कि हम अपनी धरती को स्वच्छ और हरित बनाने के लिए और क्या कर सकते हैं ? किस तरह इस दिशा में आगे बढ़ सकते हैं? अब सिर्फ पौधारोपण करने से कुछ नहीं होगा। जब तक हम यह सुनिश्चित नहीं कर लेते कि हम उस पौधे के पेड़ बनने तक उसकी देखभाल करेंगें। जेई अवनीश कुमार ने कहा कि वरक्षारोपन का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण के दूसरे तरीकों सहित सभी देशों के लोगों को एक साथ लाकर जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने और जंगलों के प्रबन्ध को सुधारना है। वास्तविक रुप में पृथ्वी को बचाने के लिये आयोजित इस उत्सव में सभी आयु वर्ग के लोगों को सक्रियता से शामिल करना होगा। तेजी से विजय कुमार सिंह अभियंता हाई वे ने कहा कि बढ़ते शहरीकरण व लगातार काटे जा रहे पड़ो के कारण बिगड़ते पर्यावरण संतुलन पर रोक लगानी होगी। सभी पेड़ या पौधे एक समान स्तर पर प्रदूषण खत्म नहीं करते। इसके लिए पहले ये जानना जरूरी है कि कहा किस स्तर का प्रदूषण है और फिर उसके मुताबिक ही वहा पेड़ लगाए जाएं। जल का संरक्षण तभी संभव है जब अधिकाधिक वृक्ष लगे। वृक्षों के कारण पर्यावरण संतुलन रहेगा, साथ ही भूमि का कटाव तथा भूमि में जल सोखने की क्षमता का भी विकास होगा। इसके अलावा संजय कुमार मिश्रा प्रोजेक्ट मैनेजर वीरेंद्र कुमार गिरी राजेश हरकल धर्मेंद्र। रवि तिवारी ने भी अपने विचारों को रखा और अधिक से आथिक पौधे रोपित कर धरा को सुंदर बनाने व पर्यावरण को प्रधुषन से बचाने का आह्वान किया।
पर्यावरण संरक्षण का दिया संदेश