उप्र में भाजपा जुट गयी है पंचायत चुनाव की तैयारी में लखनऊ, -उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ भारतीय जनता पाटी(भाजपा) राज्य में इस वर्ष आखिर में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियों में जुट गयी है। राज्य में लगभग 59,000 पंचायतों के त्रिस्तरीय सदस्यों के चुनाव के लिए 12 करोड़ से अधिक लोग पात्र हैं। इस पंचायत चुनाव को वर्ष 2022 में हाेने वाले विधानसभा चुनाव का सेमीफाइ नल माना जा रहा है। अन्य राज्यों से अपने पैतृक गांव लौटने वाले मजदूरों का अनौपचारिक अनुमान एक करोड़ के करीब है। सरकारी आकड़ों के अनुसार इनकी संख्या 35 लाख से अधिक है। संख्या जो भी हो उनकी उपस्थिति दुनिया के सबसे बड़े पंचायत चुनावों को सबसे रोमांचक बनाने के लिए पूरी तरह से तैयार है। इन चुनावों के दौरान प्रवासी श्रमिकों के मुद्दे को बड़े पैमाने पर भुनाये जाने की उम्मीद की जा रही है, ब्लॉक और जिला स्तरों पर मौजूदा निर्वाचित निकायों का कार्यकाल 26 दिसंबर को समाप्त हो जाएगा। हालाँकि, ये चुनाव पार्टी के प्रतीकों पर नहीं लड़े जाते हैं, उम्मीदवार विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रति अपनी निष्ठा रखते हैं। राजनीतिक दल भी अपने नामांकन में और इस प्रक्रिया में ग्रामीण क्षेत्रों में अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिये समर्थन में लखनऊ, 22 जून -उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ भारतीय जनता पाटी(भाजपा) राज्य में इस वर्ष आखिर में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियों में जुट गयी है। राज्य में लगभग 59,000 पंचायतों के त्रिस्तरीय सदस्यों के चुनाव के लिए 12 करोड़ से अधिक लोग पात्र हैं। इस पंचायत चुनाव को वर्ष 2022 में हाेने वाले विधानसभा चुनाव का सेमीफाइ नल माना जा रहा है। अन्य राज्यों से अपने पैतृक गांव लौटने वाले मजदूरों का अनौपचारिक अनुमान एक करोड़ के करीब है। सरकारी आकड़ों के अनुसार इनकी संख्या 35 लाख से अधिक है। संख्या जो भी हो उनकी उपस्थिति दुनिया के सबसे बड़े पंचायत चुनावों को सबसे रोमांचक बनाने के लिए पूरी तरह से तैयार है। इन चुनावों के दौरान प्रवासी श्रमिकों के मुद्दे को बड़े पैमाने पर भुनाये जाने की उम्मीद की जा रही है। , ब्लॉक और जिला स्तरों पर मौजूदा निर्वाचित निकायों का कार्यकाल 26 दिसंबर को समाप्त हो जाएगा। हालाँकि, ये चुनाव पार्टी के प्रतीकों पर नहीं लड़े जाते हैं, उम्मीदवार विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रति अपनी निष्ठा रखते हैं। राजनीतिक दल भी अपने नामांकन में और इस प्रक्रिया में ग्रामीण क्षेत्रों में अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिये समर्थन में आते हैं। इससे पहले, अटकलें लगाई जा रही थीं कि वैश्विक महामारी कोविड 19 के कारण पंचायत चुनावों में देरी हो सकती है, क्योंकि राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) को चुनाव की तैयारी करने, निर्वाचक नामावलियों को तैयार करने, संविधान के परिसीमन और आरक्षण के रोस्टर को संशोधित करने समेत कई कदम उठाने की आवश्यकता है। इसमें विभिन्न पदों ग्राम प्रधान से लेकर जिला पंचायत के अध्यक्ष पद के लिये चुनाव होने है इन चुनावों के लिए मतदाता सूची राज्य विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए निर्वाचन आयोग द्वारा तैयार किए गयी सूची से अलग होती है। चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने मंगलवार को यहां कहा, '' हम तय कार्यक्रम के अनुसार पंचायत चुनाव कराने की तैयारी कर रहे हैं, जो नवंबर और दिसंबर के महीनों में है। 2015 में राज्य पंचायत चुनावों के दौरान, लगभग 11.70 करोड़ पात्र मतदाता थे और इस वर्ष, संख्या में दस प्रतिशत वृद्धि होने की उम्मीद है। "कोरोना महामारी और लॉकडाउन के बीच उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव की तैयारी भाजपा ने शुरू कर दी है। भाजपा ने सूबे में करीब एक लाख 45 हजार बूथों पर प्राथमिक इकाइयों का गठन किया है। इन बूथ अध्यक्ष के साथ भाजपा ने संवाद का सिलसिला भी शुरू कर दिया है। कोरोना संक्रमण के बीच सेवा व राहत कार्यों के साथ संगठनात्मक सक्रियता बनाए रखने का संदेश भी दिया है। उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव की आहट भी सुनाई पड़ने लग गयी है। राज्य में राजनीतिक गतिविधिया धीरे-धीरे शुरू होने लगी है। सरकार द्वारा जैसे जैसे ढ़ील दी गयी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर चर्चाए शुरू हो गयी है। भाजपा ने इस मामले में बढ़त बना ली है। लाॅकडाउन के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा प्रवासी श्रमिकों को राज्य में वापस लाने तथा उनके लिए रोजगार उपलब्ध कराने का प्रयास मतदाताओं को लुभा सकते है। मुख्यमंत्री के प्रयासों की सराहना पूरे देश में हुई है। इसका असर पंचायत चुनाव में देखने को मिल सकता है। पंचायत चुनाव में पार्टी अपना जनाधार और बढ़ाने की तैयारी में है। भाजपा, कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी(बसपा) तथा प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी(सपा) की नजरें पंचायत चुनावों पर है। भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा घर घर जाकर उनकी कुशलक्षेम पूछना, खाद्य समाग्री बाटना तथा उनके नाम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का पत्र चुनाव की तैयारिया माना जा रहा है। उत्तर सरकार ने विभिन्न प्रदेशों में फंसे मजदूरों को वापस लाने के लिए विभिन्न राज्यों से 1,643 श्रम विशेष गाड़ियों को प्रायोजित किया था। उत्तर प्रदेश पहला राज्य था जिसने फंसे मजदूरों की निकासी शुरू की, इसके अलावा मनरेगा के तहत उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने के लिए उनकी स्किल मैपिंग की गई। जनवरी, 2018 में शुरू किया गया वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ओडीओपी) ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में रोजगार सृजन में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी लोगों के प्रवास के लिए स्थायी समाधान के लिए उत्तर प्रदेश सरकार का कदम श्रम आयोग की स्थापना, इन चुनावों के दौरान एक महत्वपूर्ण मुद्दा होने की संभावना है। दूसरी ओर, विपक्ष भी इसके लिए तैयार है। वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा सरकार को तगड़ा झटका दिया जाय। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव, जब से महामारी का प्रकोप हुआ है, प्रवासी मजदूरों के दुख और उनकी आजीविका का मुद्दा बार बार उठा रहे है। इस मामले को लेकर लगातार योगी आदित्यनाथ सरकार पर तीखा हमला किया है। सपा प्रवक्ता और पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र चौधरी ने कहा कि पार्टी कैडर पंचायत चुनाव में जुट गयी है। पार्टी चुनाव की रणनीति तैयार कर रही है। उन्होंने कहा कि पार्टी प्रमुख नियमित रूप से राज्य भर में जमीनी स्तर के कैडर के साथ वीडियो काल कर रहे हैं, ताकि उनका उत्साह बना रहे। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के मौजूदा मूड के बारे में फीडबैक लिया जा रहा है। श्री चौधरी ने कहा, " प्रवासी मजदूरों और असंगठित क्षेत्र के लाखों श्रमिकों की दुर्दशा पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जिन्होंने तालाबंदी के कारण अपनी नौकरी को खो दिया। " हालांकि, भाजपा विपक्ष के दावों से हैरान है। जमीनी स्तर के कैडर तैयार किये जा रहे है। भाजपा ने जिलों के प्रभारियों के नाम घोषित कर दिए हैं। भाजपा प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने कहा कि हम हर चुनाव को उसी जोश और तैयारियों के साथ विधानसभा और लोकसभा चुनावों की तरह लड़ते हैं।
उप्र में भाजपा जुट गयी है पंचायत चुनाव की तैयारी में