मैनपुरी। कोरोना वायरस से जूझ रहे भारत के लिए टिड्डियों ने नई मुसीबत खड़ी कर दी है। कई राज्यों में टिड्डी दल ने किसानों से लेकर आम जनता को परेशान करना शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 'मन की बात' में कहा कि 'इन हमलों ने हमें याद दिलाया है कि ये छोटा सा जीव कितना नुकसान करता है।' उन्होंने कहा कि 'हमारे कृषि क्षेत्र पर जो संकट आया है, उससे भी हम सब मिलकर लोहा लेंगे, बहुत कुछ बचा लेंगे।' टिड्डी दल राजस्थान, पंजाब, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में सक्रिय हैं। राजधानी दिल्ली समेत हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में प्रशासन ने अलर्ट जारी किया है। मैनपुरी जनपद के नवीगंज क्षेत्र के ग्राम जनोरा तिलियानी दोदापुर जतमई टोडरपुर श्रावण मोनीरामपुर इस समय इनका आतंक छाया है किसान इस समय पहले ही मुसीबत के दौर से गुजर रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने 'मन की बात' में कहा कि "भारत सरकार हो, राज्य सरकार हो, कृषि विभाग हो, किसानों की मदद करने के लिए, आधुनिक संसाधनों का भी उपयोग कर रहा है। नए-नए आविष्कार की तरफ भी ध्यान दे रहा है, और मुझे विश्वास है कि हम सब मिलकर के हमारे कृषि क्षेत्र पर ये जो संकट आया है, उससे भी लोहा लेंगे, बहुत कुछ बचा लेंगे।" टिड्डी जब एक समूह में होते हैं तो उनका व्यवहार बदल जाता है। एक घंटे में टिड्डी दल 16-19 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है। हवा साथ दे तो और दूर भी जा सकते हैं। एक एडल्ट टिड्डी अपने वजन (2 ग्राम) के बराबर रोज खा सकती है। एक किलोमीटर के टिड्डी दल में करीब 4 करोड़ टिड्डियां होती हैं। वो एक दिन में उतना खा सकती हैं जिनता 35 हजार लोग एक दिन में खाएं। हिंद महासागर में भी साइक्लोन आने से रेगिस्तान में बारिश होने लगी है, इस वजह से भी टिड्डियां पैदा होती हैं। भारत में अप्रैल महीने के बीच टिड्डियों ने राजस्थान में एंट्री की थी। तब से वे पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र तक फैल चुकी हैं।
रेगिस्तानी टिड्डियां 3 से 5 महीने तक जिंदा रहती हैं। यह थोड़ी गीली मिट्टी में अंडे देना पसंद करती हैं। अच्छी-खासी बारिश होने के बाद, टिड्डियां बड़ी तेजी से प्रजनन करती हैं। एक मीटर जमीन पर एक हजार अंडे तक बिछा दिए जाते हैं। अंड़ों से बाहर निकलने के बाद टिड्डियां आसपास की फसल चट करती हैं फिर खाने की तलाश में निकल जाती हैं।
टिड्डी दल अपने रास्ते में पड़ने वाली हजारों एकड़ फसल चट कर जाता है। इससे खाद्यान्न का संकट तो पैदा होता ही है, किसानों की माली हालत बेहद खराब हो जाती है। इंसान इन्हें काबू करने के लिए केमिकल्स का यूज करता है। उन्हें आबादी बढ़ाने से पहले ही मार देना बचाव का तरीका है।