ताजा मामला भी जनपद मुज़फ्फरनगर का ही है जहाँ खतौली कसबे में दिन निकलते ही 22 मजदूरों की एक टोली चंडीगड़ ,हरियाणा उत्तराखंड से होते हुए पैदल खतौली पहुंची है । जब इनकी जानकारी स्थानीय समाजसेवियों को हुई तो तत्काल समाज सेवा के लिए आगे आए। फल चाय बिस्किट की व्यवस्था की ओर सभी मजदूरों को नाश्ता कराया। जिसमें संदीप कुमार रविन्द्र मास्टर जी अभिषेक आदि लोग शामिल रहे
एक और जहां इनकी बेबसों की सेवार्थ में खतौली पुलिस आगे आई कुछ देर बाद इन्हें फल आदि वितरण किये और सभी का हाल जाना।
बाद में सभी का रिकॉर्ड आदि लिखकर इन्हें कोरोनटाइन सेंटर भेझा गया ।
यहां मज़दूरों से जब बातचीत की गई तो पता चला कि ये सभी 22 मजदुर चण्डीगढ़ , हरियाणा से होते हुए आगे बढ़े तो सभी उत्तराखंड पहुंचे जहां की पुलिस से मदद की गुहार लगायी तो उन्होंने बजाए घर भिजवाने के उनको जंगलो में छोड़ दिया और फिर सभी वहां से पैदल -पैदल आगे बढ़ते बढ़ते पुरकाजी से देर रात खतौली पहुँच गए ।
और सुबह होने पर हार थक कर उनको खतौली थाना दिखाई दिया जहां उन्होंने अपनी पीड़ा मौजूद सिपाहियों को बताई तो उनकी सब बातें सुनकर तत्काल पुलिस कर्मियों ने मामले की जानकारी थाना प्रभारी सहित आलाधिकारियों को दी ।
जहां थाना प्रभारी संतोष त्यागी के दिशा निर्देशन में पुलिस कर्मियों ने सभी मजदूरों को पहले चाय -पानी पिलवाया व् बाद में उनको फल आहार बाटे।
जिसके बाद आलाधिकारियों के दिशा निर्देशन में उनको कोरोनटाइन् सैंटर पर पहुँचाया।
जहां पहले से ही प्रवासी मज़दूरों के लिए कुवारटिन सेंटर है जहां 18 मजदूर ठहरे हुए थे वहीं इन 22 मजदूरों को भी यहाँ पुलिस ने कोरोनटाइन करा दिया है तथा इनका रिकॉर्ड आदि भी रख लिया गया है ।
जहाँ इनके नहाने धोने व खान पान की भी उचित व्यवस्था की गई है साथ ही साथ सभी को घर भेजने का आश्वासन भी दिया गया है।
लेकिन सवाल ये है कि आखिर कब तक इन बेबस मजबूर मजदूरों का पलायन खत्म होगा।
क्या ये यूँ ही इधर से उधर भटके भटकते अपनी जान गवा देंगे।
आज इन्हें लोगों की घृणित दृष्टि इस तरह घूर रही है जैसे इन्होंने संसार में आकर कोई
अपराध किया हो,
मगर जब इन मजदूरों के बिनाह पर लोग अपने रोजगार , फैक्ट्रियां मकानों,और ऊँचे ऊँचे महलों को बनवाते है तब इन मजदूरों की अहमियत का पता चलता है अरे जब मजदूर ही नही रहेंगे तो क्या चलेंगी फैक्ट्रियां और क्या चलेंगे रोजगार।।